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वास्तुदोषों के निराकरण के लिए करते हैं वास्तु संबंधी उपकरणों की स्थापना
वास्तु संबंधी दोषों के उपचार दोषों की प्रकृति पर और उससे होने वाले परिणामों की गंभीरता पर निर्भर होते हैं। हल्के वास्तु दोषों का उपचार कम प्रयासों से संभव हो जाता है, जबकि कई बार कमियां इतनी बड़ी हो जाती हैं कि उनके दुष्प्रभावों से मुक्ति के लिए बड़े बदलावों की आवश्यकता पड़ती है। वास्तु संबंधी उपचार कई प्रकार से किए जाते हैं। ये उपचार शास्त्रोक्त पद्धतियों के साथ साथ बदलते हुए परिवेश में विशेषज्ञ के अनुभवों पर भी निर्भर करते हैं।
वास्तु दोषों को शान्त करने के लिए संभवतया पहला प्रयास निर्माण संबंधी बड़ी खामियों को दूर करना होता है। इसमें भवन में आमूल चूल परिवर्तन करके दिशाओं के अनुरूप पुनः निर्माण करवाया जाता है। लेकिन ऐसा कर पाना कई बार संभव नहीं हो पाता है।
भवन की किस दिशा में किस व्यक्ति को रहना चाहिए, इसके अनुसार भवन के उपयोग में बदलाव लाकर भी वास्तु संबंधी कमियों को दूर किया जाता है। जैसे भवन के दक्षिण पश्चिम में घर के मालिक को रहना चाहिए, विवाहयोग्य संतान को उत्तर पश्चिम दिशा में।
भवन में काम में लिए जाने वाले घरेलू संसाधनों जैसे टी वी, सोफा, डाइनिंग टेबल, बेड, अलमारी आदि की दिशा बदलकर भी वास्तु संबंधी समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
मुख्य द्वार का स्थान बदलकर भी वास्तु दोषों का निवारण किया जा सकता है।
घर में उपयुक्त पालतू पशु या पक्षी रखकर भी वास्तु दोषों से मुक्ति पायी जाती है।
उपयुक्त व शुभ वृक्षों और पौधों के सही दिशा में संयोजन से भी वास्तु दोषों के दुष्परिणाम कम होते हैं।
जल संग्रह की दिशा बदलने से वास्तु दोषों के दुष्परिणामों में बड़ी सफलता मिलती है।
भूमि की आकृतियों को सुधार कर वास्तु के बड़े दुष्परिणामों से मुक्ति मिलती है।
पूजन, हवन व यज्ञ आदि कर्मों द्वारा भवन में शुभता व सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने से भी वास्तु संबंधी दोषों के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
ऐसी स्थिति में जब घर के निर्माण संबंधी या अन्य बदलावों से यथेच्छ परिणाम मिलने की स्थिति ना बन पाए तब वास्तु संबंधी उपकरणों की उपयुक्त दिशा में स्थापना करके वास्तु दोषों का निराकरण किया जाता है।
जल से भरे पात्रों, झरनों व चित्रों आदि की स्थापना
वास्तुयंत्र की स्थापना
विभिन्न यंत्रों की स्थापना ( वास्तु दोषों के अनुरूप श्रीयंत्र, कुबेर यंत्रादि )
विभिन्न देवों की मूर्तियों व चित्रों की स्थापना
श्री गणपति की मूर्तियों व चित्रों आदि की स्थापना ( वास्तु दोषों के अनुरूप विघ्न विनायक, सिद्धि दायक आदि विभिन्न मुद्राओं में )
श्री लक्ष्मी की मूर्ति व चित्रों की स्थापना ( वास्तु दोषों के अनुरूप विभिन्न मुद्राओं में )
श्री बालगोपाल की मूर्ति व चित्रों की स्थापना
श्री दुर्गा व नवदुर्गा की मूर्ति व चित्रों की स्थापना
श्री हनुमान की मूर्ति व चित्रों की स्थापना
श्री कृष्ण की मूर्ति व चित्रों की स्थापना
श्री सरस्वति की मूर्ति व चित्रों की स्थापना
श्री राम दरबार की मूर्ति व चित्रों की स्थापना
श्री शिव की मूर्ति व चित्रों की स्थापना
श्री शिव परिवार की मूर्ति व चित्रों की स्थापना
श्री लक्ष्मी गणेश की मूर्ति व चित्रों की स्थापना
श्री लक्ष्मीनारायण की मूर्ति व चित्रों की स्थापना
पारिवारिक सदस्यों के सुखद चित्रों की स्थापना
सांकेतिक चित्रों की स्थापना
दिशाओं के अनुरूप रंगों का प्रयोग करके
पताका स्थापना
शुभ चिन्हों की स्थापना
गाय और बछड़े की शुभ आकृतियों की स्थापना
शुभ वृक्षों और पौधों की स्थापना